एक गाँव का बच्चा
जब भी अपने आप को अकेला पाता हूँ अनायास ही मेरी सोच उस छोटे से नौ साल के बच्चे की तरफ खिंची चली जाती है। एक कच्चा घर, घर में उम्र दराज रिटायर्ड पिता, माँ और एक बड़ी बहन। कहने को तो उसके कई भाई बहन भी थे लेकिन उसने इतना ही जाना था अब तक के जीवन में। पिता ने अपने नौकरी काल में बड़े भाई बहनों के लिए जितना कर सके किया लेकिन रिटायर होने के बाद उनके लिए थोड़ी से पेंशन में घर चलाना मुश्किल हो गया। पिता सरकारी शिक्षक थे तो उन्होंने बेटे को कुछ हद तक घर में ही तालीम दी उसके बाद उसका दाखिला एक सरकारी स्कूल में करा दिया, जहाँ शिक्षक २० मई के दिन २ रुपया मांगता और कहता "तुम पास हो।" बच्चा दिमाग से अच्छा था जैसा कि उसके बड़े भाई कहा करते थे लेकिन क्या उस स्कूल में उसकी जिंदगी को सवारनें के लिए कुछ था? नहीं। घर कि माली हालत भी ऐसी नहीं थी कि शहर के तरफ रुख किया जाये। लेकिन एक दिन वह स्कूल से आया और देखा कि पिता कि तबियत बहुत ख़राब है और माँ उनकी सेवा सुश्रुषा में लगी हुई हैं। बवाशिर कि शिकायत है और खून बेतरतीब बहा जा रहा है। तीन-चार दिन गुजर गए और कोई सुधार नहीं, गाँव के डॉक्टर ने कहा कि यहाँ से इन्हें ले जाएँ वरना बचना मुश्किल है। बच्चे के बड़े भाई शहर में रह रहे थे और उस समय फ़ोन तो था नहीं, अगर होता भी तो बस का नहीं होता। गाँव के लोगों ने कहा कि मास्टर साहब को ट्राली में लिटा कर शहर ले जाइये, क्योंकि बस में तो ऐसी हालत में जाना मुश्किल था। गाँव से तीन किलोमीटर दूर एक ट्राली वाला रहता था अब उसे बुलाने कौन जाये? बच्चे ने यह जिम्मेदारी उठाई और जैसे ही वह ट्राली वाले के घर के दरवाजे पर पहुंचा करीब आठ कुत्ते उस पर झपट पड़े। छोटे बच्चे ने लपक कर घिघिआते हुए जो ट्राली वाले भैया को पकड़ा तो आज तक उसका कुत्तों से डर दूर नहीं हुआ। खैर, धीरे-धीरे पिता को ट्राली पर लिटाया गया और खुद माँ, बहन और वह बच्चा बस से शहर की ओर रवाना हुए। शहर में इलाज हुआ और पिता ठीक हो गए लेकिन घर के भाइयों ने समझा की अब इन चारो प्राणियों का गाँव में रहना ठीक नहीं होगा, क्योंकि इस तरह से कोई भी अनहोनी कभी भी हो सकती है। बच्चे का प्रवेश शहर के एक अच्छे सरकारी स्कूल में करा दिया गया और वह एक नए स्कूल में एक नए उत्साह से जाना शुरू कर दिया। आज भी वह मुझे मिलता है, इमानदारी से ठीक-ठाक कमा लेता है, और कहता है की क्या पिता जी का इतना ज्यादा तबियत ख़राब होना ही मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ लाया था? क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो वह अपने आप को अँधेरे में ही पाता है।
